Friday, September 11, 2009

बहते पानी पे तेरा नाम लिखा करते हैं

बहते पानी पे तेरा नाम लिखा करते हैं
लब-ए-खा़मोश का अंजाम लिखा करते हैं

कितना चुपचाप गुजरता है मौसम का सफ़र
तन्हा दिन और उदास शाम लिखा करते हैं

काश, इक बार तो वो ख़त की इबारत पढ़ते
अपनी आँखों मे सुबह-ओ-शाम लिखा करते हैं

लब-ए-बेताब की यह तिश्नगी मुक़द्दर है
अश्क बस बेबसी का जाम लिखा करते हैं

जमाने से सही, उनको पर खबर तो मिली
इश्क़ मे रुसबाई को ईनाम लिखा करते हैं

रात जलते हैं, सहर होती है बुझ जाते हैं
हम सितारों को दिल-ए-नाक़ाम लिखा करते हैं

कभी हम खुद से बिना बात रूठ जाते हैं
कभी खुद को ही ख़त गुमनाम लिखा करते हैं

लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.

45 comments:

  1. बहते पानी पे तेरा नाम लिखा करते हैं
    लब-ए-खा़मोश का अंजाम लिखा करते हैं

    bahut khoob ...!!

    काश, इक बार तो वो ख़त की इबारत पढ़ते
    अपनी आँखों मे सुबह-ओ-शाम लिखा करते हैं

    lajwaab...!!

    bahoot khoob likhte hain aap ....!!

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  2. रात जलते हैं, सहर होती है बुझ जाते हैं
    हम सितारों को दिल-ए-नाक़ाम लिखा करते हैं

    क्या बात है बहुत खुब। गजब की अभिव्यक्ति दिखी आपकी इस रचना में। बधाई.....

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  3. कभी हम खुद से बिना बात रूठ जाते हैं
    कभी खुद को ही ख़त गुमनाम लिखा करते हैं
    pyaar mein aksar ahisa hota hai Apoorv ji ... roothna aur manaana hi to jeevan hai

    लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
    जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.
    bahoot hi lajawab sher hai ..... jeevan ki khushboo liye .....

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  4. रात जलते हैं, सहर होती है बुझ जाते हैं
    हम सितारों को दिल-ए-नाक़ाम लिखा करते हैं

    कभी हम खुद से बिना बात रूठ जाते हैं
    कभी खुद को ही ख़त गुमनाम लिखा करते हैं

    लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
    जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.

    wah wah behtareen ashaar padh kar man khush hua.

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  5. बहुत ही उम्दा गीत । आभार ।

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  6. 'ज़िन्दगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं !'
    अपूर्वजी, अच्छी ग़ज़ल, दिलकश अंदाजे बयान ! बधाई !

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  7. क्या बात है अपूर्व..छा गए. वाह!

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  8. आपकी लेखन शैली का कायल हूँ. बधाई.

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  9. काश, इक बार तो वो ख़त की इबारत पढ़ते
    अपनी आँखों मे सुबह-ओ-शाम लिखा करते हैं

    लब-ए-बेताब की यह तिश्नगी मुक़द्दर है
    अश्क बस बेबसी का जाम लिखा करते हैं

    लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
    जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.

    क्या बात है. बेहद खूबसूरत.

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  10. रात जलते हैं, सहर होती है बुझ जाते हैं
    हम सितारों को दिल-ए-नाक़ाम लिखा करते हैं

    कभी हम खुद से बिना बात रूठ जाते हैं
    कभी खुद को ही ख़त गुमनाम लिखा करते हैं

    लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
    जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.

    purkashish..aapko pahli baar padhne ka shobhagy mila yakinan marmsparshi bhaav..kabil-e-tariif.

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  11. कितना चुपचाप गुजरता है मौसम का सफ़र
    तन्हा दिन और उदास शाम लिखा करते हैं..hum jaise tanha logo ka ab hansna kya muskana kya..jab chahne wala koee nahi fir jeena kya mar jana kya..लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
    जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं. uspe ban jaye kuchh aisee ki aaye bina na bane....

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  12. रात जलते हैं, सहर होती है बुझ जाते हैं
    हम सितारों को दिल-ए-नाक़ाम लिखा करते हैं

    wah apoorav bhai...
    ...is misre ne to jaan hi le li !!

    yaar is poori ghazal main aisi baat hai ki ye lagta hai ustaad ho jaaoge(ya ho gaye ho.).
    ek bahut acchi ravani hai yakeen karo. Ek baar muflis ji ne kaha tha ki bade bade shayroon ke be ghazlon main 1 2 sher hi acche hote hain par aapki ghazal to kamal ki hai..

    ...aur ismein 'gubbara fulane' wali koi baat nahi !!
    yakeen maniyea.
    kya aapko nahi pata ki kuch bahut chuninda blogs jo mujhe pasand hain usmein aapka naam bhi hai.
    aur aapne is chunav ko sartakh kar diya bhai...
    wah wah !!
    aur haan jo gubbara, hawa aadi (jiase) wali baat kahi thi aapne....
    ...ho sakta hai kuch agli post main wo bhi karoon, ya na bhi karoon par is post ke liye hargiz nahi !!
    kamal....
    kamal....
    kamal....

    कभी हम खुद से बिना बात रूठ जाते हैं
    कभी खुद को ही ख़त गुमनाम लिखा करते हैं

    लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
    जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.
    kuch sher to churye le jaa rah hoon..

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  13. thanks for.........

    जिनके आने से यह मयक़दा गुलज़ार हुआ !!

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  14. सुन्दर रचना शुक्ला जी

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  15. कभी हम खुद से बिना बात रूठ जाते हैं
    कभी खुद को ही ख़त गुमनाम लिखा करते हैं

    :: वाह खुद से बातें मेरी खू.....
    बहुत खूब...

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  16. बहते पानी पे तेरा नाम लिखा करते हैं
    लब-ए-खा़मोश का अंजाम लिखा करते हैं
    ............EK AAH SI NIKAL GAYI BANDU........

    कितना चुपचाप गुजरता है मौसम का सफ़र
    तन्हा दिन और उदास शाम लिखा करते हैं
    ..........EHASAS HAI TANHA DIN OUR UDAS SHAME ..........KITANI CHUBHATI HAI...

    काश, इक बार तो वो ख़त की इबारत पढ़ते
    अपनी आँखों मे सुबह-ओ-शाम लिखा करते है
    WAAH BAHUT HI KOMAL EAHASAS.............

    लब-ए-बेताब की यह तिश्नगी मुक़द्दर है
    अश्क बस बेबसी का जाम लिखा करते हैं
    KATL KAR GAYE BANDU...........

    कभी हम खुद से बिना बात रूठ जाते हैं
    कभी खुद को ही ख़त गुमनाम लिखा करते हैं
    WAAH KYA BAT HAI............

    लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
    जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.
    JARUR HI LOUTANA HOGA ......JAB AAP ITANI SUNDAR PAIGAM LIKH RAHE HO TO AWASHY PAHUNCHEGI .........AAMIN

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  17. कभी हम खुद से बिना बात रूठ जाते हैं
    कभी खुद को ही ख़त गुमनाम लिखा करते हैं

    लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
    जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.
    बहुत ही उम्दा लिखा हॆ आपने,खासकर ये शेर

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  18. bahut khoob. lajawaab.

    hum bhi aa gaye hain ab saaki tere maikhane men
    dekhen kitna suroor saaki paayenge paimaane men

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  19. कभी हम खुद से बिना बात रूठ जाते हैं
    कभी खुद को ही ख़त गुमनाम लिखा करते हैं

    वाह...बेमिसाल ग़ज़ल...बधाई...
    नीरज

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  20. "बहते पानी पे तेरा नाम लिखा करते हैं
    लब-ए-खा़मोश का अंजाम लिखा करते हैं
    लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
    जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं."
    हर शेर लाजवाब...उम्दा ग़ज़ल....बहुत बहुत बधाई....

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  21. बहते पानी पे तेरा नाम लिखा करते हैं
    लब-ए-खा़मोश का अंजाम लिखा करते हैं

    aji ham to pahli baar aaye hain aapke blog par aur ekdam flat ho gaye hain bahut badhiya.

    काश, इक बार तो वो ख़त की इबारत पढ़ते
    अपनी आँखों मे सुबह-ओ-शाम लिखा करते हैं
    lajwaab !!! aap kamal ka likhte hain..

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  22. apoorvaji,
    jitane logo ne aapko tippani ki he, usame ab mujhe kuchh bachataa hi nahi likhne ke liye, kyoki me bhi vahi likhne vaalaa tha jo likhaa jaa chukaa he/ yaani bahut behtreen/
    aapki gazal..aapka andaaz, aapke shbdo ki sthirta..aour artho ke saath khelti hui gazal/ man ko baa gai ji,
    darshanji ki tarah
    kamaal
    kamaal
    kamaal
    kamaal

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  23. पहले तो सोछ था कि जो शेर सब से अच्छा है उसी की तारीफ करूँ फिर तीन चार बात पढा मगर ये फैसल नहीं कर पाई कि कौन सा सब से अच्छा है एक सेर है तो दूसरा सवा सेर । बहुत ही लाजवाब गज़ल है दर्पण ने सही कहा है कि आप् गज़ल के उस्ताद बन गये हो। बहुत बहुत बधाई

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  24. अच्छे मिस्रे बुने हैं आपने....लेकिन आप अन्यथा न लें तो इसे ग़ज़ल कहना मुनासिब नहीं।

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  25. बहुत अच्छा लिखते हो भाई. एकदम दिल की गहराइयों तक उतर जाता है.

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  26. कितना चुपचाप गुजरता है मौसम का सफ़र
    तन्हा दिन और उदास शाम लिखा करते हैं


    क्या बात कही है .खूब.......

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  27. रात जलते हैं, सहर होती है बुझ जाते हैं
    हम सितारों को दिल-ए-नाक़ाम लिखा करते हैं

    kya baat hai sahab.. khoob.. bahut khoob

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  28. अपूर्व जी,

    बहुत ही खूबसूरत भाव हैं गज़ल के। बहुत ही कसे हुये अशआर हैं।

    सादर,


    मुकेश कुमार तिवारी

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  29. बेहतरीन गज़ल है । लेकिन इसे गज़ल कहना क्यों मुनासिब नहीं .. यह समझ मे नही आया ?

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  30. Aproov ji , 'Dignity Personified?'

    ye to nahi jaanta ki maine koi standard ya benchmark set kiya hai ya nahi, par yakeen maniyea aapki is ghazal ne ek benchmark zarror set kar diya hai....
    isliye apko bhi ek mahan yug purush 'Shree Sharukh Khan' ki baat quote karna chahoonga....
    ...aapka comptition khud aapse hai.


    ....is behte paani se jo likha hai kya usko cross kar paiyenge?

    Best Of Luck Bhai !!

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  31. कितना चुपचाप गुजरता है मौसम का सफ़र
    तन्हा दिन और उदास शाम लिखा करते हैं

    बहुत ही सुन्दर शेर.

    ग़ज़ल भी बेहतरीन है.
    हार्दिक बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  32. लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
    जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.......

    Apoorv ..... yaar tum bahut achcha likhte ho..... shabd sise lagte hain jaise taraazu mein rakh ke likhe hain......

    hats off........


    gr888888

    ReplyDelete
  33. "Apoorv ..... yaar tum bahut achcha likhte ho..... shabd sise lagte hain jaise taraazu mein rakh ke likhe hain......

    hats off........


    gr888888"...........

    "Percentage" ki baat nahi hai uske "percentile" pe jaana tha,

    Aise benchmark set karne main wakat to lagta hai".

    aur haan aap rash driving nahi kar rahe the, ye rashtriya rajmarg tha na, gadde aur speed breaker to obvious hain, tabhi to bhai main khud ko yog bhrasht kehta hoon....
    ....on a serious note kavitamain kuch geyata lana chahta tha, to shayad bhav paksha se kahi compromise kar gaya !! Aapki bina kisi poorvagrah ke di gayi samalochna hetu dhanyavaad.

    office main login nahi kar sakta isliye "open id" ....

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  34. अच्छी गज़ल
    -देवेन्द्र पाण्डेय।

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  35. Apoorva ji .... bahut khoobsurat hai ... khamosh sa padhte padhte isme bahta hi gaya ek emotional flow me .. aur ek baar me nahi hota .. baar baar padhne ka man karta hai ... ...

    Muqarrar.

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  36. sambhavanaen hain aapme. improve karte rahiye.

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  37. आप सभी स्नेही साथियों की भाव-विभोर कर देने वाली प्रतिक्रियाओं से अभिभूत हूँ..सच कहूँ तो मुझे लगा कि मुझे और इस रचना को उम्मीद से ज्यादा ही आपका प्यार मिला..दर्पण जी, निर्मला जी और अमिताभ जी के स्नेह के लिये अतिशय धन्यवाद..मगर मैं अभी उस्ताद तो क्या शाग़िर्द होने लायक भी नही हूँ..कुछ शुरुआती रचनाओं से ऐसा मुगालता पाल लेना ठीक भी नही है..अभी काफ़ी कुछ सीखना बाकी है..जैसा कि गौतम जी ने इंगित किया..ग़ज़ल के कुछ शेर बहर से रूठे हुए थे..और कुछ अश’आरों को और भी बेहतर बनाया जा सकता था..उम्‍मीद है आप सबके स्नेहपूर्ण सहयोग से बेहतर करने की कोशिश करूँगा..सभी का बहुत बहुत आभार.

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  38. Badhiya!Aakhri do Sher bahut pasand aaye.

    God bless
    RC

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  39. बहुत अच्छा लगा आपकी रचना पढ़ कर । आपने ब्लॉग का नाम तो काफी आकर्षक है । और अनुकूल भी ...

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  40. लौट भी आओ, अब तन्हा नही रहा जाता
    जिंदगी तुझको हम पैगाम लिखा करते हैं.
    behad shaandar ,har line laazwaab .

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  41. bahut hi umda aur behtareen gazal hai .....

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..क्या कहना है!

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